योगिराज शांतिविजय महाराज गुरु मन्दिर पर किया वार्षिक ध्वजारोहण

भांडवपुर जैन महातीर्थ में बुधवार को स्नात्र महोत्सव अठारह अभिषेक व योगिराज शांति विजय महाराज की 23वी पुण्यतिथि एवं समाधि मन्दिर के18वे वार्षिक ध्वजारोहण के निमित दो दिवसीय महोत्सव के दूसरे दिन आचार्य जयरत्न सुरिश्वर महाराज की निश्रा में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया।

महोत्सव के तहत क्षेत्रभर से जैन समाज के श्रावक श्राविकाओं का तीर्थ में आने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो गया था।
इसके बाद आचार्य की निश्रा में प्रथम पक्षाल पूजा के चढ़ावे बोले गए। जिसमें श्रावको ने उत्साह के साथ भाग लिया। लाभार्थी परिवार द्वारा पक्षाल पूजा की गई।पूजा का आयोजन शांति विजय महाराज कें मन्दिर में किया गया। पूजा में श्रावक श्राविकाओं ने दर्शन कर शीश नवाया।
साथ ही मन्दिर के शिखर पर लाभार्थी परिवार के द्वारा ढोल ढमाको के साथ वार्षिक ध्वजारोहण किया गया। वहीं विभिन्न चढ़ावों की बोलियां बोली गई।
दोपहर में मन्दिर में गुरु शांति विजय अष्ट प्रकारी पूजा एवं प्रभु आरती का आयोजन किया गया।जिसमें विधि कारक की देखरेख संगीतमय धुन के साथ पूजा की गई।इधर महोत्सव को लेकर तीर्थ में सभी मंदिरों को फूलों से सजाया गया था।

महोत्सव के निमित गुरु गुणा नुवाद सभा का आयोजन किया गया।

सभा में आचार्य ने कहा कि तीर्थ हमारी संस्कृति के प्रतीक है। तीर्थ प्राय मनुष्य को धर्म की ओर जोड़ने का कार्य करती है तीर्थो का भ्रमण से धार्मिक भावना का विकास होता है।इसलिए बढ़चढ़ कर तीर्थ के विकास में योगदान देना चाहिए।
आचार्य ने कहा कि गुरु जीवन में एक अभिभावक की भूमिका निभाता है।जो अच्छे बुरे का ज्ञान करवाकर सदमार्ग की ओर ले जाता है। संत का स्वभाव बादल जैसा होता है।जो बिना भेदभाव के सभी जगह बादल की तरह बरसता है।आचार्य ने सभी को संतो के चरणों में बिना स्वार्थ जाने की बात कहीं।

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